शिवपाल का डोप टेस्ट झटका: 8 साल की सजा का खतरा!

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ओलंपिक जवेलेन थ्रोअर शिवपाल सिंह ने अपनी करियर में दूसरी बार डोप टेस्ट में फेल होकर एक गंभीर मोड़ ले लिया है। यदि उन्हें दोषी पाया गया, तो उन्हें अधिकतम आठ साल का बैन झेलना पड़ सकता है। 29 वर्षीय खिलाड़ी, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भाग लिया था, का尿 नमूना इस साल प्रतिस्पर्धा से बाहर लिया गया था, जिसमें एक प्रतिबंधित पदार्थ की मौजूदगी पाई गई। उस समय वे एनआईएस पटियाला में प्रशिक्षण कर रहे थे। उन्हें राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) द्वारा अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।

सूत्रों से पता चला है कि शिवपाल ने एक प्रतिबंधित पदार्थ के लिए सकारात्मक परिणाम दिया है। यह उनकी दूसरी डोपिंग घटना है। यदि उन्हें दोषी ठहराया गया और लंबी अवधि का बैन मिला, तो उनकी करियर की संभावनाएं लगभग समाप्त हो जाएंगी। नाडा और वाडा के नियमों के अनुसार, एक एथलीट को दूसरी डोपिंग अपराध के लिए अधिकतम आठ साल का बैन लगाया जा सकता है।

शिवपाल का करियर में सबसे बड़ा उपलब्धि 2019 एशियन चैंपियनशिप में जीता गया रजत पदक है, जहाँ उन्होंने अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 86.23 मीटर फेंका था। 2021 में, उनका डोप नमूना एक स्टेरॉयड के लिए सकारात्मक पाया गया था। नाडा की एंटी डोपिंग अनुशासनात्मक पैनल ने अगस्त 2022 में उन्हें 2021 से चार साल के बैन का निर्णय सुनाया।

उन्हें 2025 तक यह बैन झेलना था, लेकिन उन्होंने नाडा की अपील पैनल के सामने यह तर्क देकर सफलतापूर्वक अपनी सजा को कम कराने में कामयाबी हासिल की कि “संक्रमित सप्लीमेंट्स” उनके फेल डोप टेस्ट का कारण थे। अपील पैनल ने जनवरी 2023 में उनके तर्क को स्वीकार करते हुए बैन की अवधि को चार साल से घटाकर सिर्फ एक साल कर दिया।

उन्होंने अप्रैल 2023 में खेलों में वापसी की और जून में भुवनेश्वर में राष्ट्रीय अंतर-राज्य चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने 2023 राष्ट्रीय खेलों में गोवा में स्वर्ण पदक भी जीता। यह उनकी वापसी की कहानी को दर्शाता है, लेकिन अब उनकी दूसरी डोपिंग घटना ने उनकी भविष्य की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

शिवपाल के लिए यह एक कठिन समय है, क्योंकि उनका करियर अब एक बार फिर दांव पर है। उनकी दूसरी डोप टेस्ट की फेल होने की खबर ने सभी को चौंका दिया है। पूरी एथलेटिक बिरादरी इस मामले पर नजर बनाए हुए है। क्या शिवपाल अपनी स्थिति को सुधार पाएंगे?

खेलों की दुनिया में एंटी डोपिंग नियमों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है। एथलीटों को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए सही तरीकों का चयन करना चाहिए। शिवपाल की कहानी एक चेतावनी है कि संकोच में आने से पहले हमें उन विकल्पों पर विचार करना चाहिए जो हमें आगे बढ़ा सकते हैं।

आखिरकार, यह सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि एक सपना है जो हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है। शिवपाल सिंह की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने स्वास्थ्य और नैतिकता की रक्षा करनी चाहिए। क्या वह इस बार सफल होंगे?

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